
आईआईटी की टीम को रेलवे ट्रैक पर नहीं मिला कोई विस्फोटक, एक और फज़ीहत होने वाली है
यह ख़बर ‘द हिन्दू’ अख़बार में छपी विजेता सिंह की रिपोर्ट ‘कानपुर की रेल पटरियों पर कोई विस्फोटक नहीं: आईआईटी टीम’ को आधार बनाकर लिखी गई है. बड़े ही दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि किसी भी अन्य मीडिया हाउस ने इस खबर को नहीं उठाया इसलिये इसे पढ़ने के बाद साझा जरूर करें ताकि लोगों को इसकी जानकारी हो सके.
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी(NIA) कानपुर और कुनेरू रेल दुर्घटनाओं पर आईआईटी की एक टीम की जांच रिपोर्ट दाखिल किये जाने के बाद अपनी ‘अंतिम रिपोर्ट’ फाइल करने के लिये पूरी तरह से तैयार है. आईआईटी की टीम की जांच में सामने आया है कि रेलवे ट्रैक पर कोई विस्फोटक नहीं पाया गया.
20 नवंबर, 2016 को इंदौर-राजेंद्रनगर एक्सप्रेस कानपुर के पास पटरी से उतर गई थी. इस हादसे में 152 लोगों की जान गई थी. और पिछले साल 22 जनवरी को जगदलपुर-भुवनेश्वर एक्सप्रेस के आंध्रप्रदेश में कुनेरू के पास ट्रेन से उतर जाने से करीब 40 लोगों की जान गई थी.
तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने दावा किया था कि यह दोनों दुर्घटनाएं ‘तोड़फोड़’ (पटरी पर) का परिणाम हैं और गृहमंत्री राजनाथ सिंह को घटनाओं की NIA जांच करवाने की मांग करते हुये एक पत्र लिखा था.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने द हिंदू को बात करते हुये बताया कि आईआईटी के विशेषज्ञों ने एक ‘मोटी रिपोर्ट’ सौंपी है और एजेंसी इसका अध्ययन कर रही है.
उन्होंने बताया, ‘रिपोर्ट में ऐसा कुछ सामने नहीं आया है जिससे लगे कि ये हादसे किसी विस्फोटक उपकरण के जरिए हुए हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी आखिरी रिपोर्ट जमा करेगी. इस मामले में कोई भी व्यक्ति कभी गिरफ्तार नहीं हुआ है और हम पुख्ता विचार के लिए विशेषज्ञों के साथ बातचीत में लगे हुये हैं.’
2017 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले रेल हादसों पर जमकर राजनीति हुई थी. पिछले साल 23 फरवरी को गोंडा में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था, ‘कानपुर रेल हासदा एक एक साजिश थी और इस साजिश को सरहद पार बैठे हुए लोगों ने अंजाम दिया था. सांसदों ने प्रधानमंत्री के इस बयान की बाबत गृहमंत्री राजनाथ सिंह से संसद में पूछा भी था कि क्या कानपुर रेल हादसे में पाकिस्तान के ISI का हाथ है? गृहमंत्री ने जवाब में कहा था कि प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर ISI का नाम नहीं लिया है.
इससे पहले, हैदराबाद की फॉरेन्सिक साइंस लैबोरेट्री ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कुनेरु में दुर्घटना स्थल पर ‘विस्फोटक का कोई निशान नहीं मिला है’.
मोती पासवान नाम के शख़्स पर बिहार पुलिस द्वारा घोड़ासहन, बिहार में जनवरी, 2017 में गिरफ्तार किया गया था. जिसपर कथित तौर पर घोड़ासहन में एक प्रेशर कुकर बम रखने का आरोप था. सुरेश प्रभु ने तोड़फोड़ का आरोप इस घटना के बाद ही लगाया था. उसने दावा भी किया था कि उसी ने कानपुर में भी बम रखा था, जिससे ट्रेन पलट गई. हालांकि जब एक NIA टीम ने उससे पूछताछ की तो पासवान ने कहा कि वह अपने इस मामले में शामिल होने की केवल डींगें मार रहा था. यूपी पुलिस ने भी रेलवे ट्रैक पर किसी तरह के विस्फोटक के मिलने से इंकार किया था.
वैसे मामले की शुरुआत से ही इस मामले में आतंकी साजिश होने की बात पर सवाल उठते रहे थे. 19 जनवरी, 2017 को नवभारत टाइम्स के पत्रकार प्रवीण मोहता ने इस मामले पर आतंकी साजिश के बयानों के बीच अपनी ख़बर में कई सवाल उठाये थे. जो नीचे दिये गये हैं-
पत्रकार प्रवीण मोहता की ख़बर-
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इस ख़बर को अविनाश, अजय और विनय ने मिलकर संपादित किया है.
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